04 दिसंबर, 2010

ABOUT JAMBHESWER BHAGWAN

बिश्नोई धर्म के सँस्थापक श्री जम्भेश्वर भगवान का जन्म विक्रम सँवत् 1508 भादवा वदी अष्टमी(क्‌ष्णजन्माअष्टमी) को लोहट जी पँवार के घर हुआ।श्री जम्भेश्वर भगवान इस लोक मेँ धर्म की मर्यादा स्थापित करने के लिये मरुभुमि नागोर के पीँपासर गाँव मेँ अवतरित हुए।श्री जम्भेश्वर ने वि.सं. 1542 के कार्तिक मास मे हिन्दु धर्म के अन्त्रगत बिश्नोई धर्म की स्थापना की।उनके द्वारा उपदिष्ट उपदेशो को शब्दो की सँज्ञा दी गई।इन्होने सुखपुर्वक जीवन यापन करते हुए अन्त मेँ आनँद स्वरुप मोक्ष गति की प्राप्ति के लिये 29धर्मोँ का पालन करना अनिवार्य बताया।श्री जाँभोजी ने 7 वर्ष बाल क्रिङा मे बिताये,27 वर्ष तक गाये चराई और 51 वर्ष तक युक्ति-मुक्ति देने वाली वाणी कहीँ। सँवत 1593 मार्गशीर्ष क्रष्णा नवमीँ को उत्तम शिक्षा से बारह कोटि जीवोँ का उद्वार करके भोगफल से अन्तर्धान हो लालासर साथरी मे परमपद को प्राप्त हुए।श्री जम्भेश्वर भगवान की लीला इस सँसार मे 85 वर्ष 3 माह 1 दिन विध्यमान रही। ईन्होने समराथल धोरे को अपनी कर्मस्थली बनाया और पेङौ की रक्षा हेतु यह सँदेश दिया कि"सर साटे रुँख रहै, तो भी सस्तो जाणँ"।रामु बिश्नोई

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