31 दिसंबर, 2012

have a happy new year,,,,,
forget mistakes of last year and pay attention on new  hopes with new year....

ramswaroop pooniya
bhinyasar, phalodi

07 मई, 2011

हमारी शान्तप्रियता के मायने

हमारा राष्ट्र शान्ति का परम पूजक माना जाता हैँ।हम हर स्थान पर शान्ति का लबादा ओढ लेते हैँ। वह समय था जब शान्ति की पूजा होती थी लेकिन अब समय बदल चूका हैँ,प्रतिस्प्रद्धा के नित नये पैमाने बन रहे हैँ।सही मायनो मे शाँति उस राष्ट्र को शोभा देती है जो सर्वशक्तिमान हैँ ओर मानवता के नाते शाँति अपनाता हैँ लेकिन भारत ने तो हर जगह शाँति का दामन नही छोङा।हम इतने शाँत है कि पाक हमे आये दिन धमकी देता है।चीन के सामने हम शाँति का राग अलाप रहे है लेकिन वो नही सुनने वाला।हमने शाँति से चीन का आक्रमण झेला,सँसद व मुँम्बइ पर हमला सहन किया और आज भी सीमा पर हमारे जवान हमारी शाँति की कीमत चुका रहे हैं।भारत की शाँति से दुःखी होकर रामधारी सिह दिनकर जी बहुत अच्छा लिखा हैँ।
मैँ कहता हूँ -जब जँगल का राजा शेर भीख माँगेगा तो गीदङ भी धमकी देगा ओर हमारे साथ ऐसा ही हो रहा हैँ।
"शाँति का दामन छोङो और दुश्मन के हर एक तमाचे का जवाब थप्पङो से दो"
जय हिन्द॰॰॰
रामस्वरुप बिश्नोई "रामू29"

11 फ़रवरी, 2011

"गरीब घर से निकला हूँ"

दोस्तोँ , मेँ एक किसान परिवार से निकला हूँ। मेरे माँ-बाप दोनो अनपढ हैँ।यँहा तक कि मेरे परिवार मेँ मैँ 10वीँ पास करने वाला प्रथम व्यक्ति हूँ। लेकिन मेने कभी इन बातोँ पर ध्यान नही दिया। मैने हमेशा ही कुछ नया करने की सोची।मुझे उस वक्त बङा दुख होता हैँ कि जब मेरा कोई दोस्त या कोई अन्य व्यक्ति किसी गरिब के स्वपन को यह कह कर नकार देते हैँ कि आप सफलता प्राप्त नही कर सकते या आप यह नोकरी प्राप्त नही कर सकतेँ। इस वक्त मेरा मन खुद से सवाल करता हैँ कि "क्या सफल होने के लिए धनवान होना जरुरी हैँ।" अगर पैसा ही सफलता का पैमाना हैँ तो भगवान ने इस 'नाचीज' गरीब को बनाया ही क्योँ। लेकिन मेरे दोस्त मैँ इस धारणा का तोङ निकालने का प्रयास कर रहा हूँ. और आशा करता हुँ कि तोङ पाऊँगा। मुझे सरकारी सेवा भले ही ना मिले लेकिन मैँ अपनी सेवा मेरे देश व समाज को तो दे सकता हुँ।
जय हिन्द॰॰॰॰॰
रामस्वरुप बिश्नोई "रामू"

03 फ़रवरी, 2011

शहीद की शर्मिन्दगी

गाँव भीँयासर के अमर सपूत गणपतराम पूनियाँ जम्मू मेँ देश के दुश्मनौ से लोहा लेते हुए 2010 मेँ शहीद हुए थे। शहीद का अन्तिम सँस्कार राजकिय सम्मान के साथ किया गया,इस अवसर पर समाज के गणमान्य लौग तथा पूरा गाँव उपस्थित था।उस वक्त गाँव के सरपँच जी ने कहा था कि शहीद की शहादत को अमर बनाने के लिये अँतिम सँस्कार स्थल पर एक भव्य प्रतिमा का निर्माण करवाया जायेगा।इस घटना को आज 7 महीने हो गये हैँ।लेकिन सरपँच साहब का यह वादा हकिकत रुप कब लेता है, कुछ भी कह पाना मुश्किल हैँ। उस शहीद को आज भी प्रतिमा का इँतजार हैँ।अगर यह प्रतिमा बन जाती है तो इसका एक फायदा मेरे गाँव को यह होगा कि यह एकदम माध्यमिक विध्यालय के सामने होगी जिससे इस विध्यालय के छात्र उस शहीद जैसा स्वपन अपने दिल मेँ बसा सकेँगेँ।
जय हिन्द ॰॰॰॰॰रामस्वरूप पूनियाँ

20 दिसंबर, 2010

बिश्नोई उत्थान की ओर या पतन की ओर

मरुभुमि मेँ निवास करने वाली बिश्नोई जाति को पशु-पक्षी तथा प्रक्रति प्रेमी माना जाता हैँ।इस जाति के लोगो की वेषभूशा तथा रहन-सहन उत्तम दर्जे की होती हैँ। ये लोग अपने गुरु महाराज के बताये 29 धर्मो का पालन करते है तथा एक आदर्श समाज की तरह जीवन व्यतीत करते हैँ। लेकिन आज जैसे-जैसे समय ने करवट बदली तो यह समाज अपने अस्तित्व के लिये सँघर्ष कर रहा हैँ। इस समाज के आदर्शो मे बदलाव आ रहा है, लोग जाँभौजी द्वारा बताये नियमौँ को भूल रहे हैँ।आज का युवा वर्ग अपने को फेँशन मे फँसाए बैठा है ,उन्हे गुरु महाराज द्वारा बताये 29 नियम तक पता नहि हैँ।इस युवा पीढी से समाज को बहुत आकाक्षाँए हैँ। अब हम सब को समाज की आकाक्षाँओ पर खरा उतरना हैँ तथा गुरु महाराज द्वारा बताये आदर्शो की पुन: स्थापना इस समाज मेँ करनी हैँ। जय जम्भेश्वर ramu bishnoi

04 दिसंबर, 2010

ABOUT JAMBHESWER BHAGWAN

बिश्नोई धर्म के सँस्थापक श्री जम्भेश्वर भगवान का जन्म विक्रम सँवत् 1508 भादवा वदी अष्टमी(क्‌ष्णजन्माअष्टमी) को लोहट जी पँवार के घर हुआ।श्री जम्भेश्वर भगवान इस लोक मेँ धर्म की मर्यादा स्थापित करने के लिये मरुभुमि नागोर के पीँपासर गाँव मेँ अवतरित हुए।श्री जम्भेश्वर ने वि.सं. 1542 के कार्तिक मास मे हिन्दु धर्म के अन्त्रगत बिश्नोई धर्म की स्थापना की।उनके द्वारा उपदिष्ट उपदेशो को शब्दो की सँज्ञा दी गई।इन्होने सुखपुर्वक जीवन यापन करते हुए अन्त मेँ आनँद स्वरुप मोक्ष गति की प्राप्ति के लिये 29धर्मोँ का पालन करना अनिवार्य बताया।श्री जाँभोजी ने 7 वर्ष बाल क्रिङा मे बिताये,27 वर्ष तक गाये चराई और 51 वर्ष तक युक्ति-मुक्ति देने वाली वाणी कहीँ। सँवत 1593 मार्गशीर्ष क्रष्णा नवमीँ को उत्तम शिक्षा से बारह कोटि जीवोँ का उद्वार करके भोगफल से अन्तर्धान हो लालासर साथरी मे परमपद को प्राप्त हुए।श्री जम्भेश्वर भगवान की लीला इस सँसार मे 85 वर्ष 3 माह 1 दिन विध्यमान रही। ईन्होने समराथल धोरे को अपनी कर्मस्थली बनाया और पेङौ की रक्षा हेतु यह सँदेश दिया कि"सर साटे रुँख रहै, तो भी सस्तो जाणँ"।रामु बिश्नोई

29 नवंबर, 2010

BISHNOI

the BISHNOI word is a combination of BEES_NO_E.this community is stablished by their DHARM GURU JAMBHESWER BHAGWAN.their guru give 29rules to their community. so, the person who follow these 29rules are called BISHNO. THIS COMMUNITY STABLISHED IN1542 AT SAMRATHL BIKANER RAJASTHAN.

ABOUT BISHNOI TODAY

Hello, frnds i am RAMSWAROOP BISHNOI from jodhpur rajasthan. BISHNOI TODAY is my blog and this blog is comptletly dedicated to BISHNOI community. On this blog u get some unexpected fact about bishnois'm and their GURU JAMBHESWER BHAGWAN. I heartly welcomes to all my bishnoi brothers on this blog.