07 मई, 2011

हमारी शान्तप्रियता के मायने

हमारा राष्ट्र शान्ति का परम पूजक माना जाता हैँ।हम हर स्थान पर शान्ति का लबादा ओढ लेते हैँ। वह समय था जब शान्ति की पूजा होती थी लेकिन अब समय बदल चूका हैँ,प्रतिस्प्रद्धा के नित नये पैमाने बन रहे हैँ।सही मायनो मे शाँति उस राष्ट्र को शोभा देती है जो सर्वशक्तिमान हैँ ओर मानवता के नाते शाँति अपनाता हैँ लेकिन भारत ने तो हर जगह शाँति का दामन नही छोङा।हम इतने शाँत है कि पाक हमे आये दिन धमकी देता है।चीन के सामने हम शाँति का राग अलाप रहे है लेकिन वो नही सुनने वाला।हमने शाँति से चीन का आक्रमण झेला,सँसद व मुँम्बइ पर हमला सहन किया और आज भी सीमा पर हमारे जवान हमारी शाँति की कीमत चुका रहे हैं।भारत की शाँति से दुःखी होकर रामधारी सिह दिनकर जी बहुत अच्छा लिखा हैँ।
मैँ कहता हूँ -जब जँगल का राजा शेर भीख माँगेगा तो गीदङ भी धमकी देगा ओर हमारे साथ ऐसा ही हो रहा हैँ।
"शाँति का दामन छोङो और दुश्मन के हर एक तमाचे का जवाब थप्पङो से दो"
जय हिन्द॰॰॰
रामस्वरुप बिश्नोई "रामू29"

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